Lockdown Useful or not in India


आज पूरा विश्व चाइना में उत्पादित कोरोना वायरस की चपेट में आ चुका है, जहां एक तरफ इटली ओर अमेरिका जैसे देशों को खासा नुकसान हुआ है वही भारत मे भी लगातार इससे काफी नुकसान होता नजर आ रहा है, ओर जिस प्रकार भारत मे दिन प्रतिदिन मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है उसको देख कर लगता है कि भारत जल्द ही प्रथम स्थान पर आ सकता है।

हाल ही में हमारे राष्ट्रपति द्वारा यह ब्यान आया कि हमें अपनी बढ़ती हुआ जनसंख्या पर भी गम्भीरता से विचार करना चाहिये क्योंकि कोई भी चीज शीघ्रता से फैलने का यह भी मुख्य कारण है ओर आज भारत में इस वजह से ही यह वायरस एक विशाल रूप लेता नज़र आ रहा है।

प्रशाशन द्वारा समय समय पर इसके लिये उपाय किये जा रहे हैं, केंद्र सरकार के साथ साथ राज्य सरकारें भी इससे निपटने के लिए प्रयास कर रही है परंतु फिर भी कोई भी उपाय कारगर साबित नही हो पा रहा।

इस वायरस की रोकथाम के लिए हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने 22 मार्च को 17 घण्टे का जनता कर्फ्यू किया ताकि लोग अपने घरों में रहें और एक चेन जिसकी वजह से यह वायरस फैल रहा है, उसको तोड़ा जा सके परन्तु शाम को 5 बजे के बाद लोग ऐसे सड़कों पर आ गए मानो ताली ओर थाली बजाने के बाद वायरस को भगा चुके हों, उसके उपरान्त 24 मार्च को 21 दिन के लिए पूरे देश मे लॉकडाउन रहने का आदेश दिया फिर 14 अप्रैल सुबह 10 बजे प्रधानमंत्री ने देश को संबोधित करते हुए लॉक डाउन की अवधि को आगे बढ़ाकर 3 मई करने का फैसला लिया ओर कहा कि अगले एक हफ्ते नियम व कानून सख़्त रहेंगे ओर इसके साथ यह भी निर्णय लिया गया कि जहां केस कम आएंगे वहां कुछ रियायत भी दी जा सकती है। 17 मई को गृहमंत्रालय द्वारा लॉक डाउन की अवधि को 31 मई तक बढ़ाने की घोषणा की गई उसके बाद 30 मई को 5वीं बार फिर लॉक डाउन बढ़ाया गया। इस तरह से लॉक डाउन को 5 चरणों मे बढ़ाकर फिर अनलॉक 1 की शुरुआत की गई।

पर सवाल यह उठता है कि,
क्या लॉक डाउन से इस महामारी में कमी आई ?
क्या हम इस पर जरा सी भी रोकथाम लगा पाए ?
क्या मरीजों की संख्या कम हुई ?

यदि देखा जाए तो लॉक डाउन एक अच्छा निर्णय तो है यद्यपि उसका सही से पालन किया जाए परन्तु हमारे देश मे कभी भी किसी नियम का सही से पालन इसलिए नही किया जाता क्योंकि प्रशाशन उस पर सही से कार्यवाही नही कर पाता। लोगों को घरों में बंद रखने के लिए पुलिस द्वारा लाठी तक का प्रयोग किया गया लेकिन जो मूलभूत सुविधाओं के लिए रियायत दी गई थी उसने ही खासा बेड़ा गर्क किया।

सबकी अपनी अपनी सोच होती है उसी प्रकार मेरे अनुसार लॉक डाउन का मतलब यह होता कि सब कुछ बन्द अर्थात सब कुछ।
न दूध मिलेगा न कोई राशन।
ओर मैं अपनी इस पोस्ट के माध्यम से प्रशाशन से एक गुज़ारिश करना चाहता हूं कि एक बार फिर से लॉक डाउन किया जाए पर कोई भी रियायत न दी जाए।
एक बार फिर 21 दिन का लॉक डाउन हो जिसमें 2 या 3 दिन पहले यह घोषणा कर दी जाए कि फलानी तारीख से 21 दिन का लॉक डाउन किया जा रहा है जिसको जहां जाना है या राशन खरीदना है या ओर भी कोई अन्य कार्य है वह करले उसके बाद इस लॉक डाउन में कोई छूट नही मिलेगी और ओर इतना सख्त कानून दिया जाए कि यदि इसके बावजूद कोई पालन नही करता तो गोली मारने तक का आदेश दे दिया जाए ताकि लोगों में एक ख़ौफ़ हो।

21 दिन के इस लॉक डाउन में असल मे वो चैन टूट सकती है जिसको वाकई सरकार तोड़ना चाह रही थी क्योंकि इसमें न कोई व्यक्ति किसी ओर से मिल पाएगा ओर जो इससे संक्रमित हैं वो भी ठीक हो जाएंगे। (यह मेरी सोच है)

इस महामारी की आपदा में अपनी जान ओर अपने परिवार की परवाह किये बिना हमारे देश ओर राज्यों की सरकार, पुलिस, डॉक्टर, नर्स, सफाई कर्मचारी व अन्य समाजिक संस्थाएं ओर समाजिक कार्यकर्ताओं का आभार व्यक्त करता हूँ और भगवान से प्रार्थना करता हूँ कि यह बीमारी ऐसे किन्हीं भी वीरों का बाल भी बांका न कर पाए ओर इस महामारी में जिस परिवार ने अपने सदस्यों को खोया है भगवान उनको इस दुःख को झेलने की शक्ति दे और मृतकों की आत्मा को अपने चरणों मे स्थान दे।।
धन्यवाद

लेख:
गौरव पाल सिंह

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